Friday, 2 January 2015

नव वर्ष

              नव वर्ष
आओ नव वर्ष,  तुम्हारा  अभिनंदन,
फिर आये हो तुम बन कर मेहमान,
आशा है, तुम  भर दोगे मेरे घावों को,    
गये वर्ष  ने तो कर दिया था परेशान.

हर नव वर्ष पहले आ कर मुस्काता है,  
फिर अपने योवन में इठलाता-इतराता है,
बसंत में रंगीन छटा  दिखलाता  है,
फिर झंझटों में फंसा कर पसीने छुडाता है.

सावन में रिमझिम बूंदों से भिगो कर
बेचैन मन को कुछ कुछ राहत दे कर.  
पर, नीरस पतझड़ में  कर देता बेहाल
ठंड भरी ठिठुरन में कंपकपी छुड़ाता है

सोचता हूं, नया वर्ष नई सौगात लाएगा,
बीते  वर्ष  की  भांति  नहीं रुलाएगा,
डरता हूं, कहीं ये मेरा भ्रम तो नहीं है,
कहीं यह वर्ष भी यूं ही नहीं भरमाएगा.

क्यों मेरे मन में है भारी अकुलाहट,
बीते वर्षों की चोटों से क्यों हूँ आहत,
उनके आगोशों में छुपी है कई यादें,
कुछ खट्टी, कुछ मीठी,कुछ में कड़वाहट.

नहीं होगा कुछ वर्षों को दोषित करने से,
वर्ष तो चलते, विपरीत समय-झरने के,
हम दोनों पर  है समय का बंधन,
क्या मिल जाएगा वर्षों से डरने से.  

पर, विगत समय की बीती बातों से,
हृदय में अनुभव होता प्रेम स्पंदन,  
आओ नव वर्ष  तुम्हारा  अभिनंदन,
करें जाते वर्ष को प्रेम भरा अभिवादन.

आओ नव वर्ष  तुम्हारा  अभिनंदन...

                                   ......प्रकाश गौतम

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