पुदीने के चमत्कारी गुण
पुदीना
गहरे हरे रंग के पत्तों वाला एक चमत्कारी औषधीय पौधा (herb) है जो वनस्पति शास्त्र के लेबियसी परिवार से संबन्धित वनस्पति है। इसके डंठल लालिमा लिए गहरे
शरबती रंग और पत्ते अंडाकार, कुछ लंबूतरे, झुर्रीदार और ऊबड़-खाबड़ सतह वाले होते हैं। इसके पत्तों से एक तीक्षण
परंतु मन को भाने वाली गंध आती है।
इसे
गमलों और घर के पास के किचन गार्डेन में भी उगाया जा सकता हैं। इसे लगातार
प्रवाहित होने वाला पानी मिलता रहे तो यह बहुत अधिक फैलता है। अँग्रेजी में इसे मिंट या मेंथा कहते है। आजकल किसान लोग बड़े
पैमाने पर पुदीने की खेती करने लगे हैं जिससे उन्हे आर्थिक लाभ हो रहा है।
सामान्यत:
घरों मे पुदीना चटनी बनाने के काम आता है। लोग अनारदाने, अमचूर, इमली और गलगल, नींबू की खटाई के साथ पुदीने की चटनी बनाते है। पुदीने
की चटनी अधिकतर गावों में बनाई जाती है। कोई और दवाई या वनस्पती पाचन क्रिया को
इतनी अच्छी तरह सही नहीं करती, जितना कि पुदीना।
रासायनिक
रूप से देखा जाए तो पुदीने में मेन्थोल नाम का रसायन होता है जो कीटाणुनाशक, फफूंदनाशक और कीटनाशक गुणों से भरपूर होता है। पुदीना एंटिओक्सीडेंट होता
है। रक्त में प्रवाहित हो रहे फ्री हाईड्रोक्सिल और नाईट्रेट रेडिकल्स को यह नियुट्रालाईज़
कर देता है।
हम
अपने घर के आसपास किचन गार्डन में और गमलों में आसानी से पुदीना उगा सकते हैं। बस जमीन
में पुदीने के कुछ ताजे डंठल दबा दीजिये। पुदीने के पौधों को नियमित रूप से ताजे
पानी की आवश्यकता होती है। बस इसकी जड़ों में पानी खड़ा नहीं रहना चाहिए। हल्के बहते
पानी के पास पुदीना बहुतायत से उगता है। गाँव में खेतों के पास जो छोटी-छोटी पानी की
नालियाँ होती है, उनके पास पुदीना खूब उगता है।
पुदीने के विभिन्न घरेलू उपयोग निम्न प्रकार से
किए जा सकते हैं:
पुदीना पाचन क्रिया को सही करता है
ताजे
पुदीने के कुछ पत्ते यदि पान की तरह चूसे जाएँ तो पेट की जलन, अफ़ारा, गैस, कब्ज और बदहजमी समाप्त हो जाती है। पुदीने से चाए भी
बनाई जा सकती है जो बेहद पाचक होती है। पुदीने का नियमित प्रयोग करने से चरम रोग
भी ठीक हो जाते हैं।
पुदीना उल्टी और खराब मन को सही करने की रामबाण औषधि है
यदि
उलटी का मन हो रहा हो और पेट में भारीपन लग रहा हो तो पुदीने की ताज़ी पत्तियां मुह
में डाल कर चूसते रहें। पुदीने का रस और नींबू का रस मिला कर चूसने से मन ठीक हो
जाता है।
पुदीना फूड-पोयजनिंग को रोकता है
यदि
अपच और फूड पोइजनिंग के कारण लगातार उल्टीयां हो रही हो तो एक एक पतीले मे एक लीटर
पानी डाल ले। इस मे ताज़े पुदीने की एक मुठी भर पत्तियां डाल ले। साथ में चुटकी भर
जीरा एक छोटा आधा प्याज भी काट कर डाल लें। इस सारे मिश्रण को उबाल ले। इसे धीमी आंच
पर पाँच मिनट तक पकने दें। फिर ठंडा होने पर छान लें। जिस किसी को भी उल्टी हो रही
हो तो उसे धीरे धीरे कर के इस पेय के दो-दो, तीन-तीन चम्मच पाँच पाँच मिनट के अंतराल से पिलाते रहें।
उल्टियाँ रूक जाएगी। उपरोक्त मिश्रण को फ्रिज में अगले दिन के प्रयोग के लिए
सुरक्षित रख सकते हैं। किसी और कारण से उल्टियाँ हो रही हो तो अपने स्थानीय डॉक्टर
को बता कर चिकित्सीय सलाह ले।
पुदीना के मुँह छाले ठीक करता है
मुंह
में यदि छाले हो गए हो तो पुदीने के रस में इंस्टेंट कॉफी मिला कर पेस्ट बना लें।
इस पेस्ट को साफ हाथों से छाले वाले हिस्से पर दिन में तीन बार लगाएँ। तीन दिन में
छाले ठीक हो जाएंगे।
पुदीने की चटपटी चटनी
पुदीने
के ताजे पत्ते - एक कप, अनारदाना - एक टेबल स्पून, भुने तिल का चूरा - एक टेबल स्पून, एक छोटा प्याज, एक लहसुन की फांक, तीन काजू, तीन बादाम, थोड़ा सा हरा धनियाँ, एक चम्मच शक्कर या चीनी, पाँच दाने काली मिर्च, दो हरी मिर्च, नमक स्वाद के अनुसार डाल कर मिक्सी, कुंडी या खरल में उपयुक्त पानी डाल कर पीस
ले। बढ़ीया चटपटी चटनी बन जाएगी। खाने के साथ चटाखे ले कर खाएं। अधिक खट्टा खाने के
शौकीन इमली का पकाया हुआ पानी अथवा नींबू का रस इस चटनी में डाल सकते हैं।
डायबिटीज़ वाले चीनी या शक्कर न डाले। जिन लोगों को लगातार गैस और अपच रहती है, वे इस चटनी को बनाएँ और खाएं। सुबह उठ कर दो गिलास गुंनगुने पानी के
पीयें। सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे। यह चटनी उन विद्यार्थियोँ के लिये अमृत तुल्य है जिंनका मन पढाई मेँ नहीँ लगता ।
पुदीने से पैरों के तलवों की जलन कैसे ठीक करें
जिन
लोगों के पैर के तलवों में जलन होती है वे रात को सोते समय गरम पानी में थोड़ा नमक
और ताजे पुदीने के पत्ते मसल कर डाल दें और इस पानी को एक तसले में डाल कर पैर
डुबाएँ और एक स्क्रबर से रगड़ कर साफ करे। पैरो की जलन समाप्त हो जाएगी।
पुदीना लीवर की क्रियाओं को सही करता है
पुदीने
के ताजे पत्तों का नियमित सेवन करने से लीवर की सभी क्रियाएँ सही हो जाती हैँ। लीवर में बनने वाली
यूरिया यूरिक एसिड में बदल कर किडनी के रास्ते निकल जाती है। जिन लोगों को जोड़ों
की दर्द रहती हो, वे तो पुदीने का प्रयोग लगातार करे।
पुदीने के प्रयोग से उपयुक्त मात्रा में बाईल जूस निकलता है जो घी, तेल चिकने खाद्य पदार्थों पर क्रिया करके उन्हे पचा देता है।
पुदीना और लू
गर्मी
के मौसम में नींबू का पानी और ताजे पुदीने के पत्ते चूसने से लू और प्यास नही लगती। कटा हुआ प्याज और ताजे
पुदीने के पत्ते एक साथ सूंघने से भी लू नही लगती।
पुदीना और एकाग्रता
जिन
बच्चों का मन पढ़ाई में नहीं लगता और एकाग्रता नहीं बनती वे शाम को तीन बादाम पानी
में भिगो दें। सुबह पुदीने के तीन ताजे पत्ते, ताजी ब्राह्मी के
तीन पत्ते धो कर बादाम के साथ खाएं, एकाग्रता उत्पन्न होगी। पाँच दिन यह प्रयोग कर के देखे। चमत्कारी असर
दिखाई देगा।
पुदीने की चाय
चाय
बनाते समय पानी में चाय-पत्ती, चीनी और ताजा पुदीने की दो
तीन पत्तियां डाल कर उबाल लें। इसमें दूध न डाल कर वैसे ही छान कर पी लें या
दो-चार बूंदें ताजा नींबू का रस डाल कर पीएं। यह चाय एसीडिटी खत्म करेगी। ग्रीन टी
में भी पुदीने और तुलसी का प्रयोग किया जा सकता है।
पुदीने व राई वाली लस्सी
गर्मियों
में एक लीटर ताज़ा लस्सी ले कर उस में पीसी हुई राई का एक चम्मच दाल दें और इसे काँच, स्टील या चीनी मिट्टी के बर्तन में ढक कर रख दें। दो घंटे बाद ताज़ा पुदीने
के कुछ पत्तों को बारीक कुतर कर लस्सी में मिला लें। स्वाद के अनुसार नमक डाल कर खाना
खाते समय लस्सी का प्रयोग करें। खाने का स्वाद बढ़ जाएगा।
एक
कहावत भी है की लगभग नब्बे प्रतिशत बीमारियां पेट की खराबी से ही उत्पन्न होती है।
जब भी पेट खराब होता है लोग तरह-तरह के चूरन, एंटासिड और एंटी-बायोटिक
दवाईयाँ खाने लगते हैं जिससे क्षणिक आराम तो मिल जाता है परंतु मेदे, लीवर, पैकरियाज़ ग्रंथी आंतड़ियों आदि को स्थाई नुकसान
पहुंचता है। यदि उपरोक्त प्रकार से पुदीने का नियमित प्रयोग किया जाये तो जहां एक ओर
दवाईयों पर अकारण खर्च होने वाला पैसा बचेगा वहीं दूसरी ओर पाचन क्रिया प्राकृतिक रूप
से सुदृढ़ होगी।
यह
अवश्य ध्यान रखें कि ऊपर बताए गए प्रयोग करने से पहले पुदीने के पत्तों को स्वच्छ पानी
से अवश्य धो लें। उपरोक्त उपयोग सिर्फ शुद्ध पुदीने के हैं।
यह ध्यान देने
की बात है की पुदीने और पिपरमेंट में बहुत अंतर होता है। पिपरमेंट को पुदीना न समझा जाए। पिपरमेंट पुदीना
परिवार का अलग पौधा होता है जिससे तरह–तरह की औषधियाँ तो बनती है। पिपरमेंट की मीठापन लिए तीक्ष्ण गंध
होती है।
लेखक : प्रकाश गौतम
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