Sunday, 16 August 2015

आज़ादी


हर कोई रहना चह्ता है आज़ाद
बेडियाँ किसी को नहीं है पसंद
पर आज़ादी का अर्थ है क्या    
सबको इस बात का नहीं पता
बन जाता है इंसान अक्सर
एक खूंखार जंगली जानवर
मन मेँ समेटे अपने सवार्थ
आज़ादी का निकाल लेते हैँ
एक ओछा संकीर्ण सा अर्थ
कि कुछ भी करने की है आज़ादी
चाहे उससे हो जाए बरबादी
बिना सोचे कि क्या रहेँ है कर
औरोँ पर क्या होगा इसका असर
ये तब आता है समझ जब
भावनायेँ होती है अपनी आहत
तब आता है समझ में
असली आज़ादी छुपी है
सँयमित आचरण में
औरोँ को सुख देनेँ मेँ
क्योंकि जब होते हैँ और सुखी
हमारे सहायता भरे बर्ताव से
तो चहुँ ओर फैल जाती है खुशी
आज़ादी मर्यादित सीमा तक
देती है मीठा मीठा सुकून
पर उस के बाद आज़ादी
बन जाती है उफनती नदी
जो विकराल रूप ले लेती है
अपने तट्बंध तोड बह्ते हुए
भयंकर प्रलय मचाती है
आज इस आजादि दिवस पर
लेते है संकल्प हम मिल कर
कि हर भारतवासी को सिखाएँगे
सच्ची आज़ादी का पाठ पढाएँगे
कि करेँगे आज़ादी का उपभोग
एक मर्यादित सीमा मेँ रह कर
जिससे बने समाज ऐसा
जिससे किसी से ना हो डर
सब लोग करे काम ऐसे
जिंससे औरो को खुशी मिले
वह आज़ादी स्व मर्यादित हो
आज़ादी जंगली निरंकुश न हो
कि जहाँ आज़ाद घूमते प्राणी को
आवारा दरिंदे कर देते है आहत
हमारी आज़ादी ऐसी हो
जहाँ हर किसी की सोच हो
कि जो भी काम वह करे
उससे कोई अकारण ना डरे
किसी को कोई ठेस ना पहुंचे
अगर डरे तो सिर्फ दुश्मन डरेँ,
गुनाहगार, अपराधी डरेँ
इसी से मिलेगी सच्ची आज़ादी
पनपेगा प्यार का साम्राज्य
तभी आयेगा असली राम राज्य
तभी आयेगा असली राम राज्य


                         ........प्रकाश गौतम

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